भस्त्रिका का मतलब है धौंकनी। इस प्राणायाम में सांस की गति धौंकनी की तरह हो जाती है। यानी श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है। भस्त्रिका प्राणायाम करने से कई तरह की बीमारियां ठीक होती हैं और इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं आइए जानते हैं इनके बारे में..
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि * जमीन पर दरी या कंबल बिछा लीजिये। * अब सुखासन में आराम से बैठ जाएं। * पीठ, गर्दन और कमर को सीधा रखें। * आंखों को बंद कर लें । * दोनों नासिकाओं के छिद्रों से आवाज करते हुए श्वासों को भरें। और एैसे ही आवाज करते हुए ही अपनी श्वासों को बाहर की तरफ छोड़ें। * ऐसा अब तेजी से करते हुए आवाज के साथ सांस अंदर और बाहार करते रहें। * इस आसन को बिना शरीर हिलाएं करते रहें। इस योग की क्रिया को भस्त्रिका कहा जाता है। जब भी आप श्वास ले रहे हों तो आवाज की गती व लय को न तोड़ें। इस क्रिया को शुरू में केवल दस बार ही करने का प्रयास करें। बाद में धीरे-धीरे आप समय को बढ़ा सकते हैं। भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे * शरीर की चर्बी कम होती है। और मोटापा तेजी से कम होता है। * यह आसन शरीर में खून साफ करता है। * शरीर में प्राणवायु की मात्रा को बढ़ाता है। भस्त्रिका प्राणायाम। * किडनी, लीवर और पाचनतंत्र मजबूत बनता है। * फेफड़ों को ताकत मिलती है । * कफ, पित्त और वात दोषों को दूर करना। * इस योगासन को करने से शरीर के हर अंग तक खून का संचार ठीक तरह से हो पाता है। * सांसों के रोग, दमा और टीवी की बीमारी ठीक होती है। भस्त्रिका प्राणायाम की सावधानियां * जिन लोगों को दिल की बीमारी, अल्सर की समस्या, मिर्गी, उच्च रक्तचाप हो वे इस आसन का अभ्यास ना करें। * गर्भवती महिलाओं को भी यह आसन नहीं करना है। * भस्त्रिका प्राणायाम विशेष इस आसन की शुरूआत करने वाले लोग पहले दो गिलास पानी जरूर पीएं और फिर भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास हल्के-हल्के करें। कोशिश यह करें कि इस योग को किसी योग गुरू की रेख-देख में ही करें।
SamacharJagat07 May. 11:49
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