नई दिल्ली (टीम डिजिटल)। गर्दन में होने वाले दर्द को आमतौर पर लोग नजरअंदाज करते हैं, लेकिन कई बार यह दर्द बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। गर्दन में दर्द किसी भी उम्र के महिला -पुरुष और बच्चों को हो सकता है। लाइफ स्टाइल के कारण पिछले कुछ सालों में सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के रोगियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
क्या है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
गर्दन का दर्द जो सर्वाइकल को प्रभावित करता है, वह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहलाता है। यह गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमज़ोर मासपेशियों के कारण, हाथों को उठाना भी मुश्किल होता है।
क्यों होता है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
-कई बार जोड़ों (कंधों के जोड़ ) और गर्दन के जोड़ों में दर्द स्पोंडिलोसिस अनुवांशिक भी होता है, लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा नहीं होता।
-स्पोंडिलोसिस होने के और भी कई कारण हैं जैसे कि उम्र का बढ़ना और ऑस्टियोपोरेसिस का होना.
-कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमज़ोर हो जाना।
-सोते समय ऊंचा तकिया रखना, लेटकर पढना, टीवी देखना और घंटों कंप्यूटर के सामने बैठना।
-घंटों भर सिलाई बुनाई करना।
-गलत ढंग से और शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठाना।
-गठिया से पीड़ित रोगी।
-लंबे समय तक ड्राइविंग करना।
-कई गंभीर चोट या फ्रेक्चर के बाद हड्डियों में क्षय की स्थिति होने लगती है।
-धुम्रपान भी एक महत्वपूर्ण कारण है।
लक्षण व परेशानियां
-कई बार गर्दन का दर्द हलके से लेकर ज्यादा हो सकता है।
-गर्दन में दर्द और गर्दन का अकड़ना, स्थिति को गंभीर करने वाले मुख्य लक्षण हैं।
-सर में पीछे की ओर दर्द का होना।
-गर्दन को घुमाने पर गर्दन में पिसने की आवाज़ आना।
-चक्कर आना।
-कंधों में दर्द और जकड़न पैदा होना।
-हाथों में सुन्नपन होना।
-दर्द दोनों हाथों की उंगलियों में जाना, जिसे हम सर्वाइकल रेडीकुलोपैथी कहते हैं। यह नस के दबने की वजह से होता है।
-गर्दन में सूजन आ जाती है।
-सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या सिर्फ जोड़ और गर्दन के दर्द तक ही सीमित नहीं रहती, समस्या गंभीर होने पर बुखार, थकान, उलटी होना, चक्कर आना, भूक की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
अगर आप और आपके किसी संबंधी को ये परेशानियां हैं तो तुरंत अपने नज़दीकी फिज़ियोथीरेपिस्ट से मिलें और सलाह लें
क्या करें
-बैठते समय गर्दन को सीधा रखें।
-गाड़ी चलाते समय पीठ को सीधा रखें।
- गद्दे की बजाय तख्त पर सोये।
-नर्म व कम ऊंचाई वाले तकिये का प्रयोग करें।
-पौष्टिक भोजन खाएं, खासकर ऐसा भोजन जो विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर हो।
-गर्दन की सिकाई. तीव्र दर्द होने पर गरम पानी में नमक डालकर सिकाई करें। दिन में कम से कम तीन से चार बार करें. दर्द को जल्दी आराम देने में काफी लाभदायक है।
इनसे परहेज रखें
-धुम्रपान न करें।
-चाय और कैफीन का सेवन कम करें।
-गर्दन को ज्यादा देर तक झुकाकर न बैठें।
-लेटकर टीवी न देखें।
-लगातार कंप्यूटर पर न बैठें. अगर ऐसा करना ज़रूरी है तो गर्दन को थोड़ी थोड़ी देर में इधर उधर घुमाते रहे।
-ऊंचे तकिये का प्रयोग न करें।
फिज़ियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर तन्वी चौहान के मुताबिक सर्वाइकल व्यायाम दर्द की तीव्रता को कम करते हैं और साथ साथ अकड़े हुए जोड़ों और मासपेशियों को भी ठीक करते हैं। हालांकि फिज़ियोथेरेपी व्यायाम को करते समय यह बात हमेशा ध्यान रखें की अगर किसी भी समय ऐसा लगे की दर्द बढ़ रहा है तो व्यायाम कदापि न करें। सर्वाइकल व्यायाम को कम से कम दो बार अवश्य करें।
व्यायाम
इसके लिए कुछ खास किस्म के एक्सरसाइज आप कर सकते हैं।
1. रेंज ऑफ़ मोशन एक्सरसाइज
-अपने सिर को दाएं तरफ कंधे तक झुकाएं। थोडा रुकें और फिर मध्य में लायें। यह क्रम बाएं तरफ भी करें।
-अपनी ठुड्डी को नीचे की तरफ झुकाएं, रुकें और फिर सिर को पीछे ले जायें।
-अपने सिर को बाएं तरफ के कान की तरफ मोडें, रुकें और फिर मध्य में लायें। यह क्रम दाएं तरफ भी करें।
2. इसोमेट्रिक एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को करते समय सांस को रोकें नहीं। हर व्यायाम को पांच से छह बार तक करें और शरीर को ढीला छोडें।
-अपने माथे से हथेलियों पर दबाव दें और सिर को अपनी जगह से हिलने न दें।
-अपनी हतेलियों का दबाव सिर के बाएं तरफ दें और सर को हिलने न दें. यही क्रम दाएं तरफ भी करें। अपनी हतेलियों का दबाव सिर के पीछे दें और सिर को स्थिर रखें।
navodayatimes in07 May. 14:01
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें