थायराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने से रक्त में थायराक्सिन नामक हार्मोन का स्तर पर प्रभाव पड़ता है. इस प्रभाव को दो श्रेणी हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायाराइडिज्म में रखा जाता है. इस स्थिति में वजन बढ़ने या घटने की समस्या होती है. इस महत्वपूर्ण हार्मोनल ग्रंथि को स्वस्थ व संतुलित बनाये रखने के लिए कुछ जड़ी बूटियां उपयोगी साबित हो सकती है.
थायराइड में हार्मोनल ग्रंथि को स्वस्थ व संतुलित बनाये रखने के लिए कुछ जड़ी बूटियां और घरेलू वस्तुएं उपयोगी साबित हो सकती है.
अदरक
अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं. अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है.
दही और दूध
थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए. दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित रोगी को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं.
मुलेठी
थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं. ऐसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है. मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं. और थकान को उर्जा में बदल देते हैं. मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है.
गेहूं का ज्वार
थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते हो. गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है. इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है.
साबुत अनाज
साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है.
फलों और सब्जियों का सेवन
थायराइड की परेशानी में जितना हो सके फलों और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए. फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है. जो थायराइड को कभी बढ़ने नहीं देता है. खासकर हरी मिर्च आदि का सेवन करें.
अश्वगंधा
अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हार्मोन की सही मात्रा में उत्पादन कर थायराइड को नियंत्रित करता है. हार्मोन संतुलन के साथ, अश्वगंधा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर तनाव से मुक्ति दिलाता है.
अलसी
अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यह एसिड थायरायड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है. हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिए.
इचिन्सिया
इचिन्सिया एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है, इसका उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए किया जाता है. इचिन्सिया में मौजूद तत्व हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को इससे निजात दिलाता है.
ब्लैडररैक
यह एक प्रकार का हर्ब है जिसका प्रयोग हाइपोथायराडिज्म समेत कई बीमारियों में होता है. इस समुद्री शैवाल में प्राकृतिक आयोडीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के लिए जाना जाता है.
बाकोपा
अगर आप थायराइड की समस्या से ग्रस्त हैं तो आप बाकोपा नामक जड़ी बूटी की मदद ले सकते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक बाकोपा एक शक्तिशाली जड़ी बूटी जो थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के काम करती है.
काले अखरोट
सीफूड के अलावा काले अखरोट को आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. विभिन्न अनुसंधान से पता चलता है कि आयोडीन एक आवश्यक पोषक तत्व है जो थायराइड ग्रंथि के स्वास्थ्य और कामकाज को ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
नींबू बाम
मिंट परिवार से संबंधित नींबू बाम एक अद्भुत जड़ी बूटी है. इस जड़ी बूटी को थायरॉयड ग्रंथि के लिए फायदेमंद माना जाता है. रिसर्च बताते है कि यह जड़ी बूटी अति थायरॉयड ग्रंथि की गतिविधियों को सामान्य बनाने में उपयोगी होती है. साथ ही यह थायराइड हार्मोन का उत्पादन भी कम करता है.
makingindia06 May. 12:47
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